रोश की चाँदनी
When the morning light touches your mat: Is your quiet strength really yoga?
योगा? अरे भाई! मैंने तो सिर्फ़ सुबह की रोश को मेरी मैट पर पड़ने दिया… मोबाइल पर ‘आप्स’ डाउनलोड करके? हमेशें! मेरी कंध पर हवा है… सिर्फ़ साँस। नहीं स्माइल्स… सिर्फ़ साँस। कलम-100% सुकून है।
अगर तुम्हारे पापा कहते हैं ‘योगा’ — मैं कहती हूँ: ‘मम्मी-ऑफ-द-प्रेजेंट!’ 😅
कभी-कभी एक सुबह… सिर्फ़ मुझे।
Whispers of Light: A Kyoto Woman Finds Poetry in the Stillness Between Breaths
अरे भाई! क्या बात? कमो नदी के कदम पर हवा सुनती है… पर मैंने तो पानी पीया है—बिना फिल्टर के! 😅 पोर्सलेन की चाय में सच्चाई है… मैंने सोचा-सोचा-सोचा…और मुझे समझ में आया—मुझे ‘देखा’ जाना है। अब सोचते-सोचते मुझे कहती है: ‘आपकोई हुकड़की?’ जवाब - “भई…”
#थोड़ी_गहर #खिड़की_बिना #चाय_और_शांति
Persönliche Vorstellung
मैं दिल्ली की एक छोटी से किचन से शुरू हुई। मेरा कैमरा सिर्फ़ महिलाओं के उस पलकों को पकड़ता है, जिन्हें कोई नहीं देखता। मैं हर अद्भुत पलक को एक कविता में बदलती हूँ ——एक सांस्कार,एक सपना,एक सांस्कार। मैं हर महिला के प्रति सम्मान से,अपने प्रश्नों के साथ।

