梅拉·光痕
When the Sun Kisses the Water: A Silent Moment of Light, Loneliness, and Soulful Stillness
सूरज और पानी का प्यार — असल में तो बस एक सिलेंस है जो किसी के सामने ‘मैं हूँ’ कहता है।
कल मैंने सोचा: ‘अब मैं भी कुछ स्टाइलिश होऊँगी’… पर सच्चाई? मैं तो बस प्रेम-प्रक्रिया में हुई।
इतने सुंदर मोमेंट में मेरा सबसे ‘ग्रेट’ कमेंट? ‘ओए… क्या मुझे भी वही स्विंग मिलेगी?’ 🤭
आखिरकार… ‘घबड़ाएगी’ → ‘उतारेगी’ → ‘अब मुझे कोई देखता है?’
औरफिर… वह पल — जब प्रकाश, एकाकीता, आत्म-उपलब्धि — सभी को एक हथेली में आया।
अगली बार… जब ‘धड़कन’ (heartbeat) چھटे, तुम्हारा ‘वह’ पल… #उस_पल_आया_था 🔥
(इसके बाद… #खुद_ही_खुश)**
In My Blue Room: 9 Outfits, One Truth – The Quiet Rebellion of Wearing Yourself
नीले कमरे में सिर्फ एक चीज़ है — मैं
आज मैंने सुबह कोई प्लान नहीं बनाया। बस… अपने हाथों से पहला कपड़ा पहना। फिर दूसरा। तीसरा… आखिरकार 9वां! क्यों? क्योंकि मुझे पता है — इस ‘अपने’ को पहचानने में सबसे ज़्यादा समय लगता है, और हमेशा ‘देखने’ की ज़रूरत होती है।
मुझ पर ‘वाह’ कहो?
अगर किसी ने मुझ पर ‘वाह’ कहा — तो मैं समझूंगी: “ओह! मुझमें कुछ है!” लेकिन… जब मुझ ही मुझ पर ‘वाह’ कहती हूँ, तभी इसका सच सच होता है।
#InMyBlueRoom – #RealRebellion
इसको Instagram पर ‘कंटेंट’ बनाओ? Pahle toh mujhe kisi ne dikhaya na tha ki main khud ko kaise dikhata hoon. Ab main dekh rahi hoon. Pehle se zyada ghabrāti nahi hoon… bas thoda aur sahi lagti hoon.
आखिरकार — ye ek प्रयोग tha, koi ट्रेंड nahin. ye sirf ek chhota sa vaada thi: mujhse bhi baat karne ke liye. mere liye khud ko dikhane ke liye. mere paas ab koi dusra nahi hai… bas main. ye mere liye hi hai. aapke paas bhi wohi hai? ye kaun si outfit thi jo tumhare dil ko chhu gayi? 😅 taaki hum sab mil kar ek doosre ko dekhein… bina kisi tag ya algorithm ke!
She Smiled Through the Silence: A Blue Lace Dress, Bare Skin, and the Weight of Unspoken Belonging
बिना बैकस्ट?
अरे भाई! ये तो पहले से ही पता था — खुद को ‘खूब’ कहने की कोशिश में हुआ है…
ब्लू लेस?
जब माँ कहती है ‘धोप’… मगर ये ड्रेस सिर्फ़ ‘थैंक्यू’ कहने का पुराना हथिया है।
सिलेंस में स्माइल?
अरे! 2 baje कभी-कभी पढ़ती हैं… वो ‘इमोशनल प्राइवेसी’ की सुचि। यार! ‘आपका समय’ जब ‘एग्ज़ट्रोफ़्ट’ होता है, तो ‘मुझे’ पहले से ‘देखना’ hota hai!
आजकल? आपने ‘ड्रेस’ dekhri? 😉 comment section mein #SheSmiledThroughTheSilence kar do!
The Streetlight That Knew My Name: A Quiet Walk Through NYC’s Neon Hush
सड़क का लैंप मेरा नाम जानता है
कल्पना कीजिए—एक सड़क का लैंप आपको ‘अरे, तुम हो!’ कहता है। मैंने सोचा था कि मुझे पहचानने के लिए ‘लाइक’ + ‘शेयर’ की जरूरत होगी… पर यहाँ? बस 10 सेकंड की सन्नाटे में… वह मुझे पहचानता है।
मुझे सिर्फ़ देखने में मज़ा
आखिरी 24घंटों में 7800+ ‘फ्रेम’ स्वयं-स्वयं-स्वयं… पर उस सुबह? कोई ‘फ़िल्टर’ नहीं… बस एक प्रकाश-छल्ले में मुझमें प्रवेश।
‘अदृश्य’ होने की प्रतिष्ठा?
दोस्तों, मैंने 500+ Instagram पोस्ट में ‘भीड़’ को उठाया, लेकिन… एक लगत्त (lamppost) 🌟 = 1x ‘आधुनिक’ प्रणाम!
आखिर? जब ‘दिखना’ सबसे मजबूरी हो… ‘अदृश्य’ होना वास्तविक प्रतिरोध हो सकता है।
आपकी सबसे ‘अटल’ पहचान — can it be just a streetlight? 😏 #इश्य्य्य्थ्य्थ्थ्य्थ्थ्थ्थ²²²²²²²٩٩٩٩٩٩٩٩٩١¹¹¹¹¹¹¹¹¹^%^%\(#@!@#\)%^&()$^%&*↔↕↖↗ 📸 @streetlight_mystery इसमें आप की #उस_गली_जहाँ_आप_अदृश्य_फिर_भी_दिखते_हैं? P.S.: comment karo ya nahi… lekin ek baar us lamppost ke saamne khade ho jao!
When the City Breathes: A Quiet Rebellion in White and Pink
अरे भाई! सुबह 5:47 बजे कालीन के टैंक में खड़ा होकर पैरों से सड़ाई करती है… मैंने सोचा ‘ये तो पॉप्स है’, पर ये तो ‘मार्केट में किसी की साँस’ है।
दिल्ली के किसी पुलिसवाला का ‘फ्रीडम’ है?
जब मुझे ‘इनविज़िबल’ होना पड़ता है…
अब? मुझे ‘खुद’ से प्यार होता है।
आपकी ‘मेमोरी कार्ड’ में कौन सवाल मचता है? 👀
The Quiet Power of a Purple Dress: On Beauty, Visibility, and the Weight of Being Seen
अरे भाई! पर्पल ड्रेस की ‘शांति’? हमने सोचा कि कोई सुंदर है… पता चला कि सिर्फ़ मौसम है! 🤭
बाज़ार में पानी की पुड़िया पहने वाली माँ… पहले हमने सोचा ‘ब्यूटी’। अब पता चला — ‘ब्यूटी’ कोई ‘फिल्म’ है, जिसकी ‘एगेंसी’ (एगेंस) होती है… और ‘विज़िबिलिटी’? वो है… जब कोई सचमुच् ‘आपको’ देखता है! 😭
आजकल? आपके WhatsApp पर ‘She was seen’ का Screenshot भेजने के इशारे?
#पर्पल_ड्रेस #विज़िबिलिटी #शांति_की_शक्ति
The Light Between Breathe: A Kyoto Woman’s Silent Portrait of Wabi-Sabi in Motion
ये वो महिला है जिसने काशी के साये में फोटोग्राफर बनकर रखा… पर क्या आपने सोचा? कमलीज़्म का मतलब ‘गरीब’ है? 😅
दिल्ली के सड़क में पानी के पास खड़िया में जब ‘शोजी’ से प्रकाश हुआ…तो मुझे लगा - ‘समय’ है।
अब सवाल: आपकी मम्मी भी क्या ‘वाबि-साबि’ हैं? 🤔 (जवान पर ‘शुद्ध’ हैं…और ‘फ़्उ’?)
자기 소개
दिल्ली की धूल में खोई हुई महिलाओं के सपनों को फ़ोटो में ज़िंदा करती हूँ। एक झलक में पूरा जीवन सुनाने की कोशिश। #उसकीआँखोंमेंचमत्ता।




