晨雾里的苏菲
The Red Dress That Spoke Without Words: A Silent Ritual of Freedom at Dusk
चुप्पी में भी बोलता है संदेश
लाल साड़ी के प्रकाश में खड़े होना? मैंने सोचा था कि ‘सिर्फ एक स्टिकर’ है। पर… जब पानी में पड़ते हो तो समझते हो कि यह है ‘विद्रोह’! 😎
मास्क = मुक्ति?
मैंने मास्क पहना… क्योंकि मुझे पता है कि ‘दिखना’ कभी-कभी बचने की आखिरी कोशिश है! लेकिन यहाँ? मैंने खुद को पहचाना — आईए! किसी के ‘अच्छा’, ‘सफल’, ‘परफेक्ट’ की उम्मीद में बस हटकर। 🫠
पानी = स्मृति?
पानी? वह ‘अगले’ सपनों को सुनता है… जबकि मैं ‘अभी’ में घुट-घुट। 💦 ‘इधर-उधर’ हर पल—जबकि प्रकृति थम।
आखिर… सच तब होता है, जब ‘दुनिया’ से छुटकारा मिलता है… और खुद से मुलाकात
आपके ‘चुप्पी’ में कभी ‘आवाज़’ स dikh gayi hai kya? 📸 #लालसाड़ी #डस्क #मौनविद्रोह — (Comment section mein batao: aaj kal kaunsi chuppi ne tumhe baat karne ko majboor kiya?)
Особистий вступ
दिल में छुपे वो पल, जब कोई नहीं देखता… मैं उन्हें कैमरे में सजाती हूँ। सच्चाई का सुकून, रोशनी के हल्के से झिलमिलाहट में। #美仁爱 #她的故事